म्युचुअल फंड क्या है ?
म्यूचुअल फंड एक प्रकार का वित्तीय वाहन है, जो कई निवेशकों से एकत्र किए गए धन के पूल से बना होता है, इस एकत्रित धन को फंड मैनेजर स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश करता है। म्युचुअल फंड पेशेवर फंड मैनेजरों द्वारा संचालित होते हैं, जो फंड की संपत्ति को आवंटित करते हैं और फंड के निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ या आय का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं।
म्यूचुअल फंड छोटे या व्यक्तिगत निवेशकों को इक्विटी, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों में पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। इसलिए, प्रत्येक शेयरधारक फंड के लाभ या हानि में आनुपातिक रूप से भाग लेता है। म्युचुअल फंड बड़ी संख्या में प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।
म्यूचुअल फंड छोटे या व्यक्तिगत निवेशकों को कम कीमत पर diversified तथा professionally managed पोर्टफोलियो की एक्सेस देते हैं।
म्यूचुअल फंड को कई प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जिसमें वे निवेश की जाने वाली प्रतिभूतियों के प्रकार, उनके निवेश के उद्देश्यों और उनके द्वारा चाहने वाले रिटर्न के प्रकार पर वर्गीकृत हैं।
म्युचुअल फंड वार्षिक शुल्क (जिसे Expence ratio कहा जाता है) और कुछ मामलों में कमीशन चार्ज करते हैं, जो निवेशकों के कुल रिटर्न को प्रभावित कर सकता हैं।
म्यूचुअल फंड कैसे कार्य करते हैं?
म्युचुअल फंड, निवेश करने वाली जनता से धन इकट्ठा करते हैं और उस धन का उपयोग अन्य प्रतिभूतियों, आमतौर पर शेयरों और बांडों को खरीदने के लिए करते हैं। म्यूचुअल फंड कंपनी का मूल्य उन कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है जिसे वह खरीदने का फैसला करता है। इसलिए, जब आप म्यूचुअल फंड की एक यूनिट या शेयर खरीदते हैं, तो आप उस फंड के पोर्टफोलियो का प्रदर्शन खरीद रहे होते हैं, या इससे भी ज्यादा, पोर्टफोलियो के मूल्य का एक हिस्सा। म्यूचुअल फंड के शेयरो में निवेश, स्टॉक के शेयरों में निवेश करने से अलग है। स्टॉक के विपरीत, म्यूचुअल फंड शेयर अपने धारकों को कोई मतदान अधिकार नहीं देते हैं। म्यूचुअल फंड सिर्फ एक कंपनी की शेयर होल्डिंग के बजाय कई अलग-अलग कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।
म्यूचुअल फंड शेयर की कीमत को Net asset value ( NAV) के रूप में संदर्भित किया जाता है, किसी म्यूचुअल फंड का NAV उस फंड के पोर्टफोलियो में उपस्थित सभी शेयरों के कुल मूल्य को फंंड के कुुल शेयरों की units से विभाजित करके निकाला जाता है। म्यूचुअल फंड शेयरों को आमतौर पर फंड के वर्तमान NAV में आवश्यकतानुसार खरीदा या बेंचा जा सकता है, NAV का मूल्य स्टॉक मूल्य के विपरीत प्रत्येक व्यापारिक दिन के अंत में तय किया जाता है।
औसत म्यूचुअल फंड में सैकड़ों विभिन्न कंपनियों के stocks होते हैं, जिसका अर्थ है कि म्यूचुअल फंड के शेयरधारक का पोर्टफोलियो कम कीमत पर भी विविधतापूर्ण होता हैं।
उदाहरण के लिए, अगर हमने MRF के 10 शेयर 10,000 में खरीदे है, अब किसी कारण वश MRF कंपनी अच्छा प्रर्दशन नही कर पाती और उसके शेयर का मूल्य 200 तक गिर जाता है इस स्थिति मे हमे सीधे 8000 का नुकसान हुआ अगर उसी 10000 से हमने म्यूचुअल फंड के शेयरों को खरीदा होता जिसमें MRF का स्टॉक म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो का एक छोटा सा हिस्सा है तो हमें बहुत कम या ना के बराबर नुकसान होता या संभावनाएं होती की वह फंड अपने पोर्टफोलियो में उपस्थित अन्य कंंपनियो के शेेयरों के बड़े हुए मूल्य के कारण लाभ में हो।
म्युचुअल फंड कैसे काम करता है?
म्यूचुअल फंड एक निवेश और एक वास्तविक कंपनी दोनों है। जब कोई निवेशक कोई स्टॉक खरीदता है, तो वह कंपनी और उसकी संपत्ति का आंशिक स्वामित्व खरीद रहा है। इसी तरह, एक म्यूचुअल फंड निवेशक म्यूचुअल फंड कंपनी और उसकी संपत्ति का आंशिक स्वामित्व खरीद रहा है।
निवेशक आमतौर पर तीन तरीकों से म्यूचुअल फंड से रिटर्न कमाते हैं:
फंड के पोर्टफोलियो में मौजूद शेयरों पर ब्याज और स्टॉक पर लाभांश से आय अर्जित की जाती है। एक फंड एक साल के दौरान फंड निवेशकों को वितरण के रूप में मिलने वाली लगभग सभी आय का भुगतान करता है।
यदि फंड अपने पोर्टफोलियो में उपस्थित जिन कंपनियों के शेयरों के मूल्य में वृद्धि हुई है, को बेचता है तो फंड को पूंजीगत लाभ होता है ।
यदि फंड होल्डिंग्स की कीमत में वृद्धि होती है, लेकिन वह फंड मैनेजर द्वारा नहीं बेची जाती है, तो फंड के शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। जिसका लाभ बाजार में अपने म्यूचुअल फंड शेयर बेचते समय होता हैं।
यदि एक म्यूचुअल कंपनी के रूप में म्युचुअल फंड का गठन किया जाता है, तो उसका सीईओ फंड मैनेजर होता है, जिसे कभी-कभी उसका निवेश सलाहकार कहा जाता है। फंड मैनेजर को निदेशक मंडल द्वारा नियुक्त किया जाता है, और SEBI द्वारा कानूनी रूप से म्यूचुअल फंड शेयरधारकों के सर्वोत्तम हित में काम करने के लिए बाध्य किया जाता है साथ ही SEBI सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों के कामकाज पर नजर रखती है। ज्यादातर फंड मैनेजर फंड के मालिक भी होते हैं। म्यूचुअल फंड कंपनी में अन्य कर्मचारी बहुत कम होते हैं। निवेश सलाहकार या फंड मैनेजर निवेश को चुनने या बाजार अनुसंधान करने में मदद करने के लिए कुछ विश्लेषकों को नियुक्त कर सकते हैं। फंड के NAV की गणना करने के लिए एक फंड अकाउंटेंट रखा जाता है, जो फंड के शेयरों की कीमतों के उतार चढ़ाव के अनुसार पोर्टफोलियो का दैनिक मूल्य निर्धारित करता है।
म्युचुअल फंडों में सरकारी नियमों को बनाए रखने के लिए एक या दो अनुपालन अधिकारी और एक वकील की आवश्यकता होती है।
म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड को कई प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जो कि उनके पोर्टफोलियो के लिए लक्षित प्रतिभूतियों के प्रकार तथा ऐच्छिक रिटर्न के अनुसार होता हैं। म्यूचुअल फंड लगभग हर प्रकार के निवेशक या निवेश के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर अलग-अलग फंडों का गठन करते हैं।
इक्विटी फंड
सबसे बड़ी श्रेणी इक्विटी या स्टॉक फंड की है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस तरह का फंड मुख्य रूप से इक्विटी शेयरों में निवेश करता है इसी कारण इसमें जोखिम भी अधिक होता है। इस समूह के भीतर विभिन्न उपश्रेणियाँ हैं। कुछ इक्विटी फंड का नाम उन कंपनियों के आकार केअनुसार दिया जाता है, जिनमें वे निवेश करते हैं जैसे : Largecap, Smallcap, Midcap एवं Multicap दूसरों को उनके निवेश के दृष्टिकोण से नामित किया गया है: Aggressive फंड, Bluechip fund, Tax saving फंड इत्यादि।
एक म्यूचुअल फंड अपनी निवेश शैली और कंपनी के आकार के आधार पर अपनी रणनीति तय करता है। उदाहरण के लिए, Large cap फंड बड़ी Capitals वाली कंपनियों जो मजबूत वित्तीय आकार में हैं पर पैसा लगाते हैं। Small cap फंड small कंपनियों में, इसी प्रकार Multi cap फंड Large, Mid तथा Small तीनों प्रकार की कंपनियों में एक निश्चित प्रतिशत में निवेश कर सकती हैं, इसमें प्रतिशत का निर्धारण SEBI द्वारा पहले से ही निश्चित है ।
इंडेक्स फंड
इंडेक्स फंड मैनेजर ऐसे शेयरों को खरीदता है जो प्रमुख बाजार सूचकांक जैसे कि SENSEX या NIFTY के साथ मेल खाते हैं। इस फंड के विश्लेषकों और सलाहकारों को कम शोध की आवश्यकता होती है, इसलिए इस फंड में शेयरधारकों से कम शुल्क लिया जाता हैं। यह फंड अक्सर लागत-संवेदनशील निवेशकों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं।
बैलेंस्ड फंड
बैलेंस्ड फंड जोखिम को कम करने के लिए दोनों स्टॉक और सरकारी/गैर सरकारी बॉन्डों में निवेश करते हैं। इस प्रकार के म्यूचुअल फंड का दूसरा नाम है "एसेट एलोकेशन फंड।" इस फंड का लक्ष्य कम जोखिम के साथ निवेशकों का पैसा निवेश करना है। हालांकि, ये फंड समान जोखिम उठाते हैं और म्युचुअल फंड के अन्य वर्गीकरणों की तरह उतार-चढ़ाव प्रदर्शित कर सकते हैं।
इसी प्रकार के फंड को एसेट एलोकेशन फंड के रूप में जाना जाता है। इनका उद्देश्य एक संतुलित आय अर्जित करना होता है, लेकिन इस प्रकार के फंड में आमतौर पर किसी भी संपत्ति वर्ग का तय प्रतिशत नहीं होता है। इसलिए पोर्टफोलियो मैनेजर को परिसंपत्ति वर्गों के अनुपात को बदलने की स्वतंत्रता दी जाती है।
मुद्रा बाजार फंड
मुद्रा बाजार में सुरक्षित (जोखिम रहित), अल्पकालिक ऋण साधन होते हैं, जिनमें से ज्यादातर सरकारी खजाने के बिल होते हैं। यह आपके पैसे को पार्क करने के लिए एक सुरक्षित जगह है। आपको पर्याप्त रिटर्न नहीं मिलेगा, लेकिन आपको अपना मूलधन खोने की चिंता नहीं करनी होगी। इस फंड का सामान्य रिटर्न उस राशि से थोड़ा अधिक है जो आप किसी FD या बचत खाते में कमाते है।
इनकम फंड
अपने नाम के अनुसार ये फंड अपने निवेशकों को वर्तमान समय में फंड maturity तक एक स्थिर आय प्रदान करते हैं। ये फंड मुख्य रूप से सरकारी और उच्च-गुणवत्ता वाले कॉर्पोरेट ऋण में निवेश करते हैं। इन फंडों का प्राथमिक उद्देश्य निवेशकों को स्थिर नकदी प्रवाह प्रदान करना है। इन फंडों के अधिकतर उपभोक्ता रूढ़िवादी निवेशक या रिटायर कर्मचारी होते हैं जो एक नियमित आय अर्जित करना चाहते हैं, कर-जागरूक निवेशक इन फंडों से बचना चाहते हैं।
ETF म्यूचुअल फंड
ETF का पूूरा नाम एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है। यह सबसे लोकप्रिय निवेश फंड हैं, इस फंड के मैनेजर म्यूचुअल फंड के अनुरूप ही रणनीति बनाते हैं, लेकिन यह फंड अपना पैैसा स्टॉक एक्सचेंजों जैसे SENSEX या NIFTY में लगाता हैं। ETF को पूरे ट्रेडिंग दिवस के दौरान किसी भी बिंदु पर खरीदा और बेचा जा सकता है। ईटीएफ पर समकक्ष म्यूचुअल फंड की तुलना में कम फीस ली जाती हैं।
म्यूचुअल फंड शुल्क
एक म्यूचुअल फंड वार्षिक परिचालन शुल्क या शेयरधारक शुल्क में खर्चों को वर्गीकृत करेगा। वार्षिक निधि परिचालन शुल्क प्रबंधन के तहत निधियों का वार्षिक प्रतिशत है, जो आमतौर पर 0.6 से 2% तक होता है। वार्षिक परिचालन शुल्क को सामूहिक रूप से Expence ratio के रूप में जाना जाता है। एक फंड का Expence ratio सलाहकार या प्रबंधन शुल्क और उसकी प्रशासनिक लागतों का योग है।
शेयरधारक शुल्क, जो बिक्री शुल्क, कमीशन और रिडेम्पशन शुल्क के रूप में आते हैं, निवेशकों द्वारा फंड खरीदने या बेचने पर सीधे भुगतान किया जाता है। बिक्री शुल्क या कमीशन को म्यूचुअल फंड के "लोड" के रूप में जाना जाता है। जब म्यूचुअल फंड में फ्रंट-एंड लोड होता है, तो शेयरों को खरीदने पर फीस का आकलन किया जाता है। बैक-एंड लोड के लिए, म्यूचुअल फंड फीस का मूल्यांकन तब किया जाता है जब कोई निवेशक अपने शेयर बेचता है।
कभी-कभी कुछ निवेश कंपनियां नो-लोड म्यूचुअल फंड प्रदान करती है, जो किसी भी कमीशन या बिक्री शुल्क को वहन नहीं करती है। इन फंडों को सीधे एक माध्यमिक कंपनी के बजाय एक निवेश कंपनी द्वारा वितरित किया जाता है।
म्यूचुअल फंड 1 साल से पहले ही निकासी के लिए शुल्क और दंड भी लेते हैं जिसे Exit load कहते हैं। जो अलग-अलग म्यूचुअल फंड कंपनियों में 1-3% हो सकता हैं।
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